IUCN ka full form -international union for conservation of nature
IUCN एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो प्रकृति संरक्षण एवं प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रयोग के क्षेत्र में कार्यरत है। यह संयुक्त राष्ट्र का अंग नहीं है। इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा में पर्यवेक्षक का आधिकारिक दर्जा प्राप्त है।
प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन अंतरराष्ट्रीय संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा प्रकाशित “रेड डाटा बुक्स” में विलुप्ति के कगार पर खड़े संकटग्रस्त पौधों और पशु जातियों की सूचियां सम्मिलित की जाती हैं। अतः विलुप्त होने वाली प्रजातियों की सूचीबद्धता रेड डाटा बुक में होती है।
* प्रकृति संरक्षण हेतु अंतरराष्ट्रीय संघ (IUCN-international union for conservation of nature) की परिभाषा के अनुसार, किसी प्रजाति को तब विलुप्त (extinct) माना जाता है जब वह अपने प्राकृतिक आवास में 50 वर्ष से न देखी गई हो।
IUCN सूची के लाभ
- स्थानीय स्तरों पर संरक्षण कार्यों का निर्देशन
- जैव विविधता ह्रास की लिखित सूची का निर्माण
- संकटा पंकज जातियों की पहचान व उनका अभिलेखन
- जैव विविधता के महत्व के विषय में जागरूकता उत्पन्न करना।
जून, 2012 में आई.यू -सी.एन. द्वारा वर्ष 2012 की “संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड डाटा सूची” जारी की गई जिसमें भारत में पाई जाने वाली पक्षियों की 15 प्रजातियों को अति संकटग्रस्त श्रेणी में शामिल किया गया है। इस सूची में सोन चिरैया या महान भारतीय सारंग ( ग्रेट इंडियन बस्टर्ड), साइबेरियन सारस और सलेटी टिटहरी (Sociable Lapwing) अति संकटग्रस्त श्रेणी में, कस्तूरी मृग संकटग्रस्त श्रेणी में और एशियाई वन्य गधा संकट के नज़दीक (Near Threatened) श्रेणी में, जबकि लाल पांडा संकटग्रस्त श्रेणी में शामिल हैं।