Plant Cell in Hindi || पादप कोशिका सरंचना, कार्य, अवयव

पादप कोशिका की परिभाषा (Definition of Plant Cell)

“पौधों में पायी जाने वाली कोशिका भित्ति से घिरी यूकैरियोटिक सरंचना जिसमें केन्द्रक झिल्लीयुक्त होता है। उसे पादप कोशिका (Plant Cell) कहते हैं। “

पादप कोशिका क्या है? (What is Plant Cell?)

पादप कोशिका (Plant Cell) मधुमक्खी के छत्ते के आकार में षट्भुज आकृति की होती है जो कोशिका भित्ति (cell wall) से घिरी होती है यह कोशिका को आकार प्रदान करने का काम करती है। पादप कोशिका (Plant Cell) में कोशिका भित्ति के अलावा कोशिका झिल्ली जीवद्रव्य एवं केंद्रक होता है। इसमें विभिन्न प्रकार की  विशेष संरचनाएं भी पायी जाती हैं जिन्हें कोशिकांग कहा जाता है  जैसे- माइटोकान्ड्रिया, रिक्तिका, लाइसोसोम, गॉल्जिकाय आदि। पादप कोशिका (Plant Cell) में केन्द्रक, कोशिका द्रव्य से एक झिल्ली द्वारा अलग रहता है। जिसे केन्द्रक झिल्ली कहते हैं।

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PLANT CELL DIAGRAM (पादप कोशिका का चित्र )

पादप कोशिका की सरंचना (Structure of Plant Cell)

पादप कोशिका (Plant Cell) आयताकार होती है और तुलनात्मक रूप से पशु कोशिका से बड़ी होती है भले ही पादप और पशु कोशिकाएं दोनों ही  यूकैरियोटिक हैं और कुछ कोशिकांग दोनों में पाए जाते हैं, लेकिन पादप कोशिकाएं (Plant Cell) पशु कोशिकाओं की तुलना में काफी भिन्न होती हैं। 

पादप कोशिका के कार्य (Function of Plant cell)

प्रकाश संश्लेषण पादप कोशिकाओं (Plant Cell) द्वारा किया जाने वाला प्रमुख कार्य है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया  पादप कोशिका (Plant Cell) के क्लोरोप्लास्ट में होती है। यह सूर्य के प्रकाश में कार्बन डाइऑक्साइड और पानी का उपयोग करके पौधों द्वारा भोजन तैयार करने की प्रक्रिया है।  इस प्रक्रिया में एटीपी के रूप में ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। कुछ पौधों की कोशिकाएं जड़ों से पत्तियों और पौधों के विभिन्न भागों में पानी और पोषक तत्वों के परिवहन में मदद करती हैं। 

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 पादप कोशिका के अवयव (Plant cell organelles)

  • कोशिका भित्ति 
  • कोशिका झिल्ली 
  • केन्द्रक 
  • कोशिका द्रव्य  
  • लवक 
  • रिक्तिका
  • गॉल्जिकाय
  • अंतर्द्रव्यी जालिका 
  • राइबोसोम
  • माइटोकॉन्ड्रिया 
  • लाइसोसोम

कोशिका भित्ति (Cell Wall)

यह एक कठोर परत है जो सेल्युलोज, ग्लाइकोप्रोटीन, लिग्निन, पेक्टिन और हेमिसेलुलोज से बनी होती है।  यह कोशिका झिल्ली के बाहर स्थित होती है। यह सिर्फ वनस्पति कोशिका में पाई जाती है। कोशिका भित्ति को निम्लिखित भागों में बाँटा गया है

1) प्राथमिक कोशिका भित्ति (Primary Cell Wall)

पादप कोशिका की प्राथमिक कोशिका भित्ति सेल्युलोज से बने माइक्रोफाइबिल की बनी होती है । परिपक्व कोशिका में इसके भीतर की ओर द्वितीयक भित्ति बन जाती है। 

2) द्वितीयक कोशिका भित्ति (Secondary Cell Wall)-

पादप कोशिकाओं में द्वितीयक कोशिका भित्ति बहुत अधिक मोटी है । यह प्राथमिक भित्ति के अन्य पदार्थों जैसे सेल्युलोज, पेक्टिन, लिग्निन इत्यादि के जमा होने से बनती है । इस भित्ति में तीन परतें बाह्य, मध्य, तथा अन्तः होती हैं ।

3) तृतीयक कोशिका भित्ति (Tertiary Cell Wall)-

द्वितीयक भित्ति के भीतर की ओर बनती है तथा यह भित्ति सभी कोशिकाओं में नहीं पायी जाती है। 

4) मध्य पटलिका (Middle Lamella)-

यह कैल्शियम तथा मैग्नेशियम पेक्टेट की बनी होती है जो दो कोशिकाओं को जोड़ने का कार्य करती है।

कोशिका भित्ति के कार्य 

पादप कोशिका में कोशिका भित्ति का प्राथमिक कार्य कोशिका  को संरचनात्मक सहायता प्रदान करना और उसकी सुरक्षा करना है। पादप कोशिका की दीवार भी यांत्रिक तनाव के से कोशिका की रक्षा करने और कोशिका को रूप और संरचना प्रदान करने का काम करती है। यह कोशिका के अंदर और बाहर गुजरने वाले अणुओं को भी छानती है। 

कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)

यह अर्ध-पारगम्य झिल्ली है जो कोशिका भित्ति  के भीतर मौजूद रहती है। यह प्रोटीन और वसा की एक पतली परत से बनी होती है।

कोशिका झिल्ली के कार्य 

कोशिका झिल्ली कोशिका के भीतर विशिष्ट पदार्थों के प्रवेश और निकास को विनियमित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उदाहरण के लिए, कोशिका झिल्ली विषाक्त पदार्थों को अंदर प्रवेश करने से रोकती है, जबकि पोषक तत्वों और आवश्यक खनिजों को अंदर ले जाने में सहायक होती है। 

केन्द्रक (Nucleus)

कोशिकीय अंगक केन्द्रक की खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट ब्राउन ने 1831 के पूर्व की थी। यह एक झिल्ली से घिरी संरचना होती है जो केवल यूकेरियोटिक कोशिकाओं में पायी जाती है। इसमें डीएनए पाया जाता है। केन्द्रक कोशिका का सबसे प्रमुख अंग होता है। केन्द्रक कोशिका की सभी जैव क्रियाओं का नियन्त्रण करता है, इसी कारण इसको कोशिका का नियन्त्रण कक्ष कहते हैं।

केन्द्रक के निम्न भाग होते हैं। 

1)केन्द्रिक(Nucleolus)

केन्द्रक में एक या अधिक गोलाकार सरंचनाऐं मिलती है जिसे केन्द्रिक कहते हैं। यह  प्रोटीन-निर्माण संरचनाओं और राइबोसोम का निर्माण करती है। प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में केंद्रीकाएँ नहीं है क्योंकि ये कोशिका विभाजन के समय लुप्त हो जाती जीवधारी के शरीर में वृद्धि के लिए केन्द्रक का कोशिका विभाजन उत्तरदायी होता है। 

2) केन्द्रक कला (Nuclear Membrane)

 केन्द्रक के  जीवद्रव्य को केन्द्रक द्रव्य कहते हैं । यह चारों ओर से एक कला से घिरा होता है जिसे केन्द्रक कला कहते हैं। केन्द्रक कला दो परतों की बनी होती है तथा ये परतें लिपोप्रोटीन की बनी होती हैं। 

3) केन्द्रक द्रव्य (Nucleoplasm)

केन्द्रक द्रव्य न्यूक्लियोप्रोटीन से बने होते है जो पारदर्शी तथा कोलॉइडी अर्द्धतरल के रूप में होते हैं  केन्द्रक के  मैटिकस को केन्द्रक़ द्रव्य कहते हैं। 

क्रोमैटिन धागे (Chromatin Threads)

क्रोमैटिन धागा, केन्द्रक द्रव्य में गहरा रंग लेने वाले पदार्थ से बना होता हैं। ये धागे परस्पर मिलकर एक जाल सदृश रचना क्रोमेटिन जालिका बनाते हैं। 

केन्द्रक के  कार्य 

1)केन्द्रक कोशिका की सभी जैव-क्रियाओं का नियन्त्रण तथा नियमन करता है। 

2) जीवधारी के शरीर में वृद्धि के लिए केन्द्रक का कोशिका विभाजन उत्तरदायी होता है। 

कोशिका द्रव्य 

यदि हम प्याज़ की झिल्ली की स्लाइड देखें तो हमें प्रत्येक कोशिका में एक बड़ा क्षेत्र दिखेगा जो कोशिका झिल्ली से घिरा हुआ होता है। इस क्षेत्र में बहुत हल्का धब्बा होता है इसे ही कोशिका द्रव्य कहते हैं। कोशिका द्रव्य तथा केन्द्रक दोनों को मिलाकर जीवद्रव्य कहते हैं। 

लवक (Plastid)

लवक सभी पादप कोशिकाओं एवं कुछ प्रोटोजोआ जैसे युग्लीना में मिलते हैं। ये आकार में बड़े होने के कारण सूक्ष्मदर्शी से आसानी से दिखाई पड़ते हैं। इसमें विशिष्ट प्रकार के वर्णक मिलने के कारण पौधे भिन्न-भिन्न रंग के दिखाई देते हैं। विभिन्न प्रकार के वर्णकों के आधार पर लवक कई तरह के होते हैं। जैसे-हरित लवक, वर्णीलवक व अवर्णीलवक। कुछ महत्वपूर्ण प्रकार के प्लास्टिड्स और उनके कार्य नीचे दिए गए हैं। 

हरितलवक (chloroplast)

लवकों में पर्णहरित लवक  व केरोटिनॉइड वर्णक मिलते हैं। जो प्रकाश-संश्लेषण के लिए आवश्यक प्रकाशीय ऊर्जा को संचित रखने का कार्य करते हैं। प्रत्येक क्लोरोप्लास्ट में एक हरे रंग का वर्णक होता है जिसे क्लोरोफिल कहा जाता है जो प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए आवश्यक होता है यह सूर्य से प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करता है और इसका उपयोग कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को ग्लूकोज में बदलने के लिए करता है। 

वर्णीलवक (chromoplasts)

ये विषम, रंगीन प्लास्टिड हैं जो सभी फलों और फूलों को रंग प्रदान करते हैं। वर्णीलवकों में वसा विलय केरोटिनॉइड वर्णक जैसै-कैरोटीन, जैंथोफिल व अन्य दूसरे मिलते हैं। इनके कारण पादपों में पीले नारंगी व लाल रंग दिखाई पड़ते हैं। 

अवर्णीलवक (leucoplasts)

ये पौधों के गैर-प्रकाश संश्लेषक ऊतकों में पाए जाते हैं।  उनका उपयोग प्रोटीन, लिपिड और स्टार्च के भंडारण के लिए किया जाता है। अवर्णी लवक विभिन्न आकृति एवं आकार के रंगहीन लवक होते हैं जिनमें खाद्य पदार्थ संचित रहते हैं मंडलवक में मंड के रूप में कार्बोहाइड्रेट संचित होता है जैसे-आलू।  तेल लवक में तेल व वसा तथा प्रोटीन लवक में प्रोटीन का भंडारण होता है। 

लवक के कार्य 

1)क्लोरोप्लास्ट में प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया होती है, जिसके अन्तर्गत कार्बाहाइड्रैट्स बनते हैं। 

2) वर्णीलवक पुष्पों तथा फलों को आकर्षक रंग देते हैं। पुष्पों का आकर्षक रंग कीटों को आकर्षित करता है,।

3)अवर्णीलवक का मुख्य कार्य पौधों के विभिन्न अंगों में भोजन का संचय करना है। 

रिक्तिका (Vacuoles)

कोशिका द्रव्य में झिल्ली द्वारा घिरी जगह को रसधानी या रिक्तिका कहते हैं। इसमें पानी, रस, उत्सर्जी पदार्थ मिलते हैं। टोनोप्लास्ट एक झिल्ली है जो केंद्रीय रिक्तिका को घेरे रखती है। भंडारण के अलावा केंद्रीय रिक्तिका का महत्वपूर्ण कार्य कोशिका की दीवार के  दबाव से सुरक्षा प्रदान करना है।  

रिक्तिका के  कार्य

1) यह कोशिकाओं को स्फीति एवं कठोरता प्रदान करती है । 

2) इसमें घुले रंगीन पदार्थ पुष्पों को आकर्षक रंग प्रदान करते हैं । 

3) कुछ एक कोशिकीय जीवों में विशिष्ट रसधानियाँ अतिरिक्त जल एवं अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालती हैं।

गॉल्जिकाय (Golgi Bodies)

इसकी खोज 1898 में कैमिलो गॉल्जी ने की थी। पादप कोशिकाओं में गॉल्जीकाय छोटे- छोटे समूहों में रहते हैं। यह सभी यूकेरियोटिक कोशिकाओं में पाए जाते हैं। 

गॉल्जीकाय के कार्य 

1) गॉल्जीकाय में एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम में बने प्रोटीन व एन्जाइम का सान्द्रण, रूपान्तरण व संग्रहण होता है । 

2) इसके  द्वारा लाइसोसोम का निर्माण होता है। 

3) गॉल्जीकाय कोशिका की सभी स्राव क्रियाओं से सम्बन्धित है 

4) कोशिका भित्ति के लिए हेमीसेल्युलोस का निर्माण तथा स्राव गॉल्जीकाय से होता है। 

अंतर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulam)

1945 में पोर्टर तथा उनके सहयोगियों ने इसकी खोज की थी। यह कोशिका का कंकाल तन्त्र कहलाता है। अर्थात् इसका मुख्य कार्य कोशिका को ढाँचा तथा मजबूती प्रदान करना है । इस पर राइबोसोम लगे होते है, जो प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करते हैं। 

अन्तर्द्रव्यी जालिका का कार्य

1) यह कोशिकाद्रव्य तथा केन्द्रक के बीच जलिका का कार्य करती है 

2) यह विभिन्न पदार्थों के आवागमन पर नियन्त्रण रखती है। 

3) यह कोशिकाद्रव्य तथा केन्द्रक के बीच प्रोटीन के परिवहन के लिए नलिका के रूप में कार्य करती है।

4) कणिकामय जालिका प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होती है।

राइबोसोम (Ribosome)

जॉर्ज पैलेड ने 1953 में इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी द्वारा सघन कणिकामय सरंचना राइबोसोम को सर्वप्रथम देखा था। ये अन्तः प्रद्रव्यी जालिका की झिल्लियों पर चिपके होते हैं। ये अकेले या गुच्छों में कोशिका द्रव्य में बिखरे रहते हैं। ये रचनाएँ प्रोटीन और आरएनऐ की बनी होती हैं। राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण में भाग लेता है। 

राइबोसोम के कार्य 

1) राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण का केन्द्र होते हैं। 

2) यह एमीनो अम्ल का निर्माण करता है। 

3) यह कोशिका के जैव-रासायनिक क्रियाकलापों के लिए सतह प्रदान करता है। 

माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondriya)

इसकी खोज 1900 में आल्टमान ने की थी। इन्हें “सेल का पावरहाउस” भी कहा जाता है। ये कोशिकाद्रव्य में छोटे-छोटे कणों गोलों या छड़ों के रूप में पाये जाते हैं। यह दोहरी झिल्ली वाला कोशिकांग है। इसकी बाहरी झिल्ली छिद्रित होती है तथा भीतरी झिल्ली बहुत अधिक वलित होती है। 

माइटोकाण्ड्रिया के कार्य 

माइटोकाण्ड्रिया कार्बोहाइड्रेट एवं वसा के ऑक्सीकरण से ऊर्जा उत्पत्ति का केंद्र है। तथा ATP के रूप में ऊर्जा प्रदान करता है। 

लाइसोसोम (lysosome)

इसकी खोज डी. दुबे ने 1955 में की थी। इसमें विभिन्न हाइड्रोलिटिक एंजाइम भरे होते हैं। लाइसोसोम को आत्मघाती बैग कहा जाता है क्योंकि यह कोशिका के अपशिष्ट पदार्थों का अवशोषण कर लेता है। 

लाइसोसोम के कार्य 

1) यह मृत तथा क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को लाइसोसोम स्वलयन द्वारा नष्ट करता है। 

2) यह कोशिका के अपशिष्टों को पाचित कर कोशिका को साफ़ रखता है। 

3) इसके एन्जाइम्स कोशिकांगों के अलावा ‘जीवाणु तथा भोजन का पाचन करते हैं। 

पादप कोशिका और जंतु कोशिका (Plant cell and Animal Cell)

1)दोनों प्रकार की कोशिकाओं में सबसे मुख्य भिन्नता यह है कि सभी पादप कोशिकाएँ (Plant Cell) एक कठोर सेल्युलोजी (सेल्युलोज से बनी) कोशिका भित्ति  से घिरे रहते हैं। यह भित्ति प्लाज्मा  झिल्ली के चारों ओर रहती हैं। जबकि प्राणी कोशिकाओं में ऐसी कोई कोशिका भित्ति नहीं होती। 

2) दूसरी भिन्नता यह है कि पादप कोशिकाओं (Plant Cell) में एक विशेष कोशिकांग-हरितलवक होता है (उनकी संख्या प्रति कोशिका हर पादप में अलग होती है) जिसकी मदद से वे प्रकाश संश्लेषण कर पाते हैं। 

3) प्राणी अपना आहार संश्लेषित करने में सक्षम नहीं होते, उनमें हरितलवक नहीं होता है। लेकिन, उच्च वर्ग के पादपों में [शंकूधारी  और पुष्पवाले पादप] प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पत्तियों और नए प्ररोहों में सीमित होती है क्योंकि वहीं पर हरितलवक होते हैं। 

4) पादप कोशिकाओं (Plant Cell) में तारक केन्द्र (centrioles) नहीं  पाए जाते जबकि यह सभी प्राणी कोशिकाओं में दिखते हैं। लेकिन कुछ निम्न वर्ग के पादपों में आधारी काय (बेसल बॉडी) होती है जो संरचनात्मक तौर पर तारक काय के समान होती है। 

सारांश (Summary)

  • पादप कोशिका (Plant Cell) में कोशिका झिल्ली के चारो ओर एक कोशिका भित्ति होती है जो सेल्युलोस की बनी होती है
  • कोशिका भित्ति बैक्टीरिया तथा फंजाई को अल्प परासरण दाबी घोल में बिना फटे जीवित रहने देती है।
  • अंतर्द्रव्यी जालिका अन्तः कोशिकीय परिवहन तथा उत्पादन सतह के रूप में कार्य करता है।
  • यूकैरियोटिक कोशिका में केन्द्रक दोहरी झिल्ली द्वारा कोशिका द्रव्य से अलग रहता है।
  • गॉल्जीकाय झिल्लीयुक्त पुटिकाओं का स्तम्भ है। यह कोशिका में बने पदार्थों का संचयन, रूपांतरण तथा पैकजिंग करता है।
  • अधिकांश पादप कोशिकाओं (Plant Cell) में झिल्ली युक्त अंगक जैसे प्लास्टिड होते हैं।
  • अधिकांश परिपक्व पादप कोशिकाओं (Plant Cell) में एक बड़ी रसधानी होती है। यह अपशिष्ट पदार्थों का संचय करती है।
  • क्लोरोफिल प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में सहायता करता है।

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Sneha Katiyar

My name is Sneha Katiyar. I am a student. I like reading books

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