Hindi Meaning of Transpiration – वाष्पोत्सर्जन
वाष्पोत्सर्जन की परिभाषा (Definition of Tranpiration)
पौधे की जड़ें मृदा से जल तथा खनिज पदार्थों का निरन्तर रूप से अवशोषण करती रहती हैं। जीवित पौधों के वायवीय भागों से होने वाली जल हानि को वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) कहते हैं।
वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) की यह क्रिया एक भौतिक क्रिया होने के साथ जैविक क्रिया भी है। यह क्रिया जीवद्रव्य के द्वारा नियंत्रित रहती है । रात्रिकाल में वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) कम तथा दिन में यह अधिक होता है। वाष्पोत्सर्जन में जल पौधों से वाष्प के रूप में विसरित होता है। वाष्पोत्सर्जन की दर मुख्यत: तापमान पर निर्भर करती है।
प्रकाश के द्वारा पत्तियों का ताप बढ़ जाने से वाष्पोत्सर्जन होता है। अत: प्रकाश वाष्पोत्सर्जन में प्रभाव डालता है ।

पौधों में वाष्पोत्सर्जन क्रिया (Transpiration Process in Plants)
पौधों की जड़ों के द्वारा मिट्टी से अत्यधिक मात्रा में जल का अवशोषण किया जाता है, लेकिन इसका कुछ भाग ही पौधों द्वारा उपयोग किया जाता है। जल की अतिरिक्त मात्रा पौधो के वायवीय भागों द्वारा जलवाष्प (Water Vapour) के रूप में वातावरण में छोड़ दी जाती है।
इस प्रकार पौधों के वायवीय भागों के द्वारा जल का जलवाष्प के रूप में हानि होना वाष्पोत्सर्जन कहलाता है। वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) एक जैविक प्रक्रिया है तथा यह क्रिया पौधों में पाए जाने वाले विशिष्ट प्रकार के पर्णरन्ध्रों (Stomata) द्वारा होती है। लगभग 90-99% जल की हानि इस क्रिया द्वारा होती है।
पर्णरन्ध्र क्या होता है? (What is Stomata?)
वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) पौधे के माध्यम से होने वाले पानी के आवागमन और इसके हवाई भागों से वातावरण में होने वाले वाष्पीकरण की प्रक्रिया है । पत्तियों और युवा कलियों में एपिडर्मल (बाह्यत्वचा) परत में सूक्ष्म रन्ध्र की तरह की संरचनाएँ होती हैं इन्हें पर्णरन्ध्र (Stomata) कहा जाता है।
वाष्पोत्सर्जन मुख्य रूप से पत्तियों के पर्णरन्ध्र माध्यम से होता है । पर्णरन्ध्र (Stomata) मुख्य रूप से प्रकाश संश्लेषण और श्वसन की प्रक्रिया के दौरान गैसों के आदान-प्रदान से सम्बन्धित होता है। पर्णरन्ध्र (Stomata) में दरार जैसे निकासमुख होते है। इन्हें स्टोमेटल रंध्र कहा जाता है । यह पहरेदार कोशिकाओं (गार्ड सेल) नामक दो विशेष कोशिकाओं से घिरा रहता है। ये विशेष कोशिकाएँ स्टोमेटा को खोल और बन्द कर वाष्पोत्सर्जन की दर को विनियमित करने में मदद करती हैं।
वाष्पोत्सर्जन के प्रकार (Types of Transpiration)
पौधों का अधिकांश वाष्पोत्सर्जन उनकी पत्तियों द्वारा होता है, इसे पर्णील वाष्पोत्सर्जन कहते हैं।वाष्पोत्सर्जन की क्रिया द्वारा पौधे पौधे बड़ी मात्रा में जल को वायुमंडल में छोड़ते हैं। वाष्पोत्सर्जन करने वाली सतह के आधार पर पौधे में तीन प्रकार का वाष्पोत्सर्जन पाया जाता है।
1)रंध्रीय वाष्पोत्सर्जन–
यह वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) की मुख्य विधि है। पौधों द्वारा वाष्पोत्सर्जित जल का लगभग 90% भाग इस क्रिया द्वारा ही बाहर निकलता है । पत्तियों तथा कुछ रूपान्तरित तनों की सतह पर असंख्य छिद्र होते हैं इन छिद्रों को रन्ध्र कहते हैं। ये जल तथा वायु आवागमन में भाग लेते हैं ।
छिद्रों में खुलने एवं बंद होने की क्षमता होती है। छिद्रों से वाष्प के उत्सर्जन को रंध्रीय वाष्पोत्सर्जन कहते हैं।
2) उप-त्वचीय वाष्पोत्सर्जन (Cuticular Transpiration)-
पौधों की पत्तियों तथा वायवीय भाग क्यूटिकल द्वारा ढका रहता है। इसी क्यूटिकल द्वारा जल थोड़ी मात्रा में वाष्पीकरण द्वारा बाहर उड़ जाता है। इस प्रकार के वाष्पोत्सर्जन को उप-त्वचीय वाष्पोत्सर्जन कहते है।
3) वातरंध्रीय वाष्पोत्सर्जन (Lenticular Transpiration)-
पौधों के तनों व शाखाओं पर छाल (Bark) पाई जाती है। जिनमें छोटे-छोटे रंध्र उपस्थित होते हैं इन रंध्रों को वात रंध्र (Lenticular) कहते हैं। इन रंध्रों द्वारा कुछ जल वाष्प बनकर बाहर निकल जाता है। इस प्रकार की जल की हानि को वातरंध्रीय वाष्पोत्सर्जन कहते हैं।
वाष्पोत्सर्जन का महत्त्व क्या है? (What is the Importance of Transpiration? )
वाष्पोत्सर्जन के महत्त्व को निम्नवत बताया गया है
1) वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) मिट्टी से पानी के अवशोषण में मदद करता है ।
2) अवशोषित पानी जड़ों से पत्तियों तक जाइलम वाहिकाओं से जाता है। ये काफी हद तक वाष्पोत्सर्जन खिंचाव से प्रभावित होते हैं।
3) वाष्पीकरण के दौरान वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) पौधे की सतह ठण्डी रखने में मदद करता है।
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वाष्पोत्सर्जन की दर को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक (Environmental Factors Influencing the Rate of Transpiration)
वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) की दर को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक निम्नवत् हैं।
1) प्रकाश-
स्टोमेटा प्रकाश में खुलना शुरू होता है इसलिए पौधे अंधेरे की तुलना में प्रकाश की उपस्थिति में और तेजी से वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) करते हैं ।
2) तापमान-
पौधे अधिक तापमान में ज्यादा तेजी से वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) करते हैं क्योकि जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है पानी और ज्यादा तेजी से भाप बनकर उड़ता है ।
3) आद्रता-
आद्रता को वायुमण्डल में मौजूद जलवाष्प के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। बाहरी वायुमण्डल की सापेक्ष आद्रता जितनी ज्यादा होती है वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) की दर उतनी कम होती है ।
4) हवा-
जब कोई हवा नहीं चलती है, तो पत्ती की सतह के चारों ओर की हवा ज्यादा नम हो जाती है । इस प्रकार वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) की दर कम हो जाती है। हवा के वेग में वृद्धि पत्ती की सतह से नमी हटाकर वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ा देती है ।
सारांश (Summary)
जीवित पौधों के वायवीय भागों से होने वाली जल हानि को वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) कहते हैं। पौधों का अधिकांश वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) उनकी पत्तियों द्वारा होता है, इसे पर्णील वाष्पोत्सर्जन कहते हैं। वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) एक जैविक प्रक्रिया है तथा यह क्रिया पौधों में पाए जाने वाले विशिष्ट प्रकार के पर्णरन्ध्रों (Stomata) द्वारा होती है।
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