Wind Energy in Hindi || पवन ऊर्जा, पवन चक्की, पवन पम्प

पवन ऊर्जा क्या है? (What is Wind Energy?)

हमारे वातावरण में चारों तरफ वायु विद्यमान है। यह मन्द गति से चलने पर हवा के रूप में होती है तथा तेज हो जाने पर इनके अन्य रूप आंधी, तूफान, टारनेडो, टाइफून, हरिकेन आदि हैं। इनमें इतनी ऊर्जा होती है कि सामने आने वाले हर पेड़ तथा वस्तु को उखाड़ फेंकती है। जिससे यह पता चलता है कि वायु में ऊर्जा होती है। इसी ऊर्जा का उपयोग मानव कल्याण में करना ही पवन ऊर्जा (Wind energy) कहलाती है। 

पवन ऊर्जा (Wind energy) दिखाई नहीं पड़ती परन्तु पवन को महसूस किया जा सकता है। अत: वायु की गतिशीलता के कारण उत्पन्न गतिज ऊर्जा ही पवन ऊर्जा (Wind energy) कहलाती है। इसे विभिन्न विधियों एवं उपकरणों का उपयोग करके ऊर्जा के विभिन्न रूपों में परिवर्तित किया जाता है।  

पवन ऊर्जा के क्षेत्र (Scope of Wind Energy) 

पवन ऊर्जा (Wind energy) का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाता है इसकी उपयोगिता के कारण ही इसके द्वारा विद्युत उत्पादन मिलों का संचालन, पम्पों का संचालन तथा अन्य क्षेत्रों में उपयोग किया जा रहा है।  इसका कोई सीमित क्षेत्र नहीं है। आने वाले युग में इसको अन्य कार्यों में भी तथा क्षेत्रों में उपयोग किया जाएगा। भारत में पवन ऊर्जा (Wind energy) द्वारा 22,500 MW (वर्ष 2014 के अनुसार) ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है इसका उत्पादन चीन में 114,600 MW होता है जिसके साथ पवन ऊर्जा (Wind energy) में चीन प्रथम स्थान पर है।  

पवन ऊर्जा का महत्त्व (Significance of Wind Energy)

पवन ऊर्जा (Wind energy) का महत्त्व निम्नलिखित है 

1) पवन ऊर्जा (Wind energy) पर्यावरण के अनुकूल होती है। इसमें ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं होता है। 

2) यह ऊर्जा का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत है तथा यह प्रकृति में निःशुल्क उपलब्ध है। 

3) पवन ऊर्जा (Wind energy) के द्वारा विद्युत उत्पादन में भारत विश्व में जर्मनी, अमेरिका तथा स्पेन के बाद चौथे स्थान पर आता है।  

4) पवन ऊर्जा (Wind energy) से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए लगाए जाने वाले उपकरणों की लागत कम आती है। 

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पवन ऊर्जा के उपयोग (Uses of Wind Energy) 

पवनऊर्जा (Wind energy) का उपयोग निम्नलिखित कार्यों में किया जा रहा है

1) इस ऊर्जा का उपयोग अनाज को पीसने की चक्कियों को चलाने में किया जा रहा है। 

2) इसका उपयोग पवन चक्की द्वारा जल पम्प चलाकर पृथ्वी के अन्दर से पानी निकालने में किया जाता है। गुजरात के ओखा में 1MW की पवन चक्की संचालित है। 

3) इसका उपयोग पुराने समय से पालदार नावों को नदियों तथा समुद्रों में चलाने के लिए किया जाता रहा है जो कि यातायात का एक प्रमुख साधन है । 

4) पवन ऊर्जा (Wind energy) का सर्वाधिक उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जाना चाहिए। इसी कारण गुजरात के पोरबन्दर में लावा नामक स्थान पर इस ऊर्जा से 50 टरवाइनें चलाई जा रही है जिसकी क्षमता 2 अरब यूनिट विद्युत उत्पादन की है । 

5) पवन ऊर्जा (Wind energy) का उपयोग खेलों में भी किया जाता है जैसे-पतंग उड़ाने, नौकायन (Sailing) आदि में। 

पवन ऊर्जा (Wind energy) का उपयोग कई प्रकार से किया जा सकता है। इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों ने अनेक युक्तियों बनाई है जिसके द्वारा इसका उपयोग और भी आसान हो गया है। यह कुछ प्रमुख युक्तियाँ निम्नलिखित है

1) पवन चक्की (Wind mill) 

2) पवन पम्प (Wind pump), आदि। 

पवन चक्की (Wind Mill) 

पवन ऊर्जा का प्रयोग विद्युत ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है। इसमें प्रयुक्त पंखों में तेज चलने वाली हवाएँ जब टकराती हैं तो इन पंखों में मूवमेन्ट होता है तथा इनके शॉफ्ट सीधे रोटर से जुड़े होते हैं।  हैड रोटर गियर बॉक्स द्वारा जनरेटर को गति प्रदान करते हैं जिससे ऊर्जा का संचार हो जाता है। 

Wind-mill-पवन-चक्की
Wind Mill (पवन चक्की)

यह ऊर्जा बैटरी बैंक में इकट्ठा हो जाती है। जिसे आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जा सकता है। इसमें लगा टरबाइन पवन की गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदल देता हैं तथा इसमें लगा एक जनरेटर इस यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदल देता है। यांत्रिक ऊर्जा का प्रयोग सीधे भी कर सकते हैं। जैसे-पम्पिंग वाटर (Pumping water) आदि। 

पवन पम्प (Wind Pump) 

पवन चक्की में पवन पम्प को प्रयोग किया जाता है।  पवन चवकी को ऐसे स्थान पर स्थापित किया जाता है जहॉ पर वायु तेज गति से लगातार हर मौसम में चलती रहे। जिससे बिना रूके उत्पादन प्रक्रिया का हो सके। पवन चक्की एक बड़े टावर पर लगे पंखों के माध्यम से प्राप्त ऊर्जा द्वारा चलाई जाती है।  यह पंखे एल्युमिनियम के बनाए जाते हैं जो देखने में बिल्कुल साधारण पंखों की भाँति होते हैं । 

ये यड़े-बडे पंखे या पंखुडियाँ एक पहिए पर लगी होती है। यह पहिया इसमें लगे ऊर्ध्वाधर शॉफ्ट के अक्ष के परित: घूमता है। जिस कारण पहिए का तल वायु की दिशा के लम्बवत हो जाता है। इसमें एक क्रैक का उपयोग किया जाता है, जो एक तरफ पहिए की शॉफ्ट तथा दूसरे तरफ सम्पर्क छड़ से जुड़ी होती है। यह सम्पर्क छड़ ही संचालित मशीन के सिरे से बद्ध होती है। 

जब हवा तीव्र गति से चलती है तो पंखुडियाँ घूमती हुई गति करती हैं तथा वायु की गतिज ऊर्जा, यांत्रिक ऊर्जा में बदल जाती है तथा उससे सम्बन्धित शॉफ्ट, क्रैक तथा सम्पर्क छड़ गतिमान हो जाती है। और मशीन का संचालन प्रारम्भ हो जाता है। इस प्रकार की पवन चक्की की दक्षता 25% होती है। पवन चक्की का उपयोग करके पानी खींचने की प्रक्रिया दर्शायी गई है। इसमें लगे क्रैक के द्वारा ही पम्प का प्लन्जर ऊपर-नीचे गति करता है। जिससे जल का निष्कासन सम्भव हो पाता है। वायु के तीव्र होने पर इसकी दक्षता बढ़ जाती है जिससे उत्पादन क्षमता मी बढ़ जाती है। 

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Sneha Katiyar

My name is Sneha Katiyar. I am a student. I like reading books

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