AIDS क्या है?
जन्म के पश्चात् प्रतिरोधक क्षमता के ह्रास के कारण उत्पन्न लक्षणों को एड्स कहते हैं। AIDS अपने आप में कोई रोग का नाम नहीं है अपितु अपने आप को अनेक लक्षणों तथा संकेतों के रूप में प्रकट करता है इसलिए इसे सिंड्रोम कहते हैं। AIDS (एड्स) को प्रत्येक अंग्रेजी अक्षर द्वारा निम्नलिखित रूप में लिखा जाता है।
A-Acquired -अर्जित किया हुआ।
I-Immuno- शरीर की प्रतिरोधक क्षमता
D-Deficiency- कमी
S-Syndrome – अनेक रोगों अथवा लक्षणों का समूह
AIDS रोग किस वायरस से होता है?
यह रोग HIV नामक विषाणु से होता है जिसके संक्रमण के फलस्वरूप शरीर के रोग प्रतिरोधक तन्त्र में क्षति होती है। HIV का पूरा नाम Human Immuno Deficiency Virus है। यह रिट्रोवायरस परिवार का सदस्य है। एवं अति सूक्ष्म होता है। HIV बाल की मोटाई के एक हजारवें भाग के बराबर होता है। जो मानव शरीर के रक्षातन्त्र को प्रभावित करता है।
HIV हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करता है?
ज़ब अनेक प्रकार के जीवाणु, विषाणु तथा अन्य सूक्ष्म किसी-न-किसी माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। तो ये अनेक प्रकार के विषैले पदार्थ हमारे शरीर में छोड़ते हैं, जो हमें रोगी बनाते हैं। इन सूक्ष्म जीवों से हमारे शरीर की रक्षा करने के लिये शरीर में श्वेत रक्त कणिकाएँ पायी जाती हैं। श्वेत रक्त कणिकाएँ विभिन्न प्रकार की होती हैं किन्तु रोगों से लड़ने के लिये उनमें प्रमुख रूप से लिम्फोसाइट T, लिम्फोसाइट B तथा हैल्पर T कोशिकाएँ पायी जाती हैं। जब भी कोई रोगाणु हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो T हेल्पर कोशिकाओं के निर्देश पर लिम्फोसाइट T सीधे ही रोगाणु पर आक्रमण कर इसे नष्ट कर देता है। लिम्फोसाइट B रोगाणु की प्रकृति का अनुमान लगाकर उनक विरुद्ध एण्टीबॉडी का निर्माण करती है । ये एण्टीबॉडी रोगाणुओं को नष्ट कर देती हैं तथा हमारे शरीर की रक्षा करती हैं।
अनेक बार इन रोगाणुओं का संक्रमण अधिक हो जाता है तो ये लिम्फोसाइट B कोशिकाएं इन्हें नष्ट नहीं कर पाती हैं और हम रोगग्रस्त हो जाते हैं। रोगाणुओं को एन्टीबायोटिक दवाओं द्वारा नष्ट किया जाता है।
जब HIV शरीर में प्रवेश करता है तो यह सीधे ही कोशिका पर आक्रमण करता है। इस विषाणु का RNA एन्जाइम की सहायता से DNA में परिवर्तित हो जाता है। अब ये DNA युक्त विषाणु कोशिका के DNA के साथ संयुक्त हो जाता है, जहाँ यह लगातार विभाजित होता रहता है। प्रतिक्षण यह अपना रूप परिवर्तित करता रहता है। इसलिये इसे बहुरूपिया वाइरस (रिट्रोवाइरस) भी कहते हैं। अतः लिम्फोसाइट इसे पहचान नहीं पाता जिससे यह नष्ट नहीं हो पाता। धीरे-धीरे अनेक हेल्पर T कोशिकाएँ HIV के प्रभाव में आने लगती हैं और व्यक्ति के शरीर के रोग से लड़ने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है।
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AIDS कैसे फैलता है?
असुरक्षित यौन सम्पर्क
एड्स फैलने का प्रमुख कारण संक्रमित पुरुष अथवा महिला से यौन सम्पर्क है। HIV विषाणु, संक्रमित महिला के यौन स्राव तथा संक्रमित पुरुष के वीर्य में अधिक मात्रा में पाया जाता है। जब एक स्वस्थ व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति से यौन संपर्क करता है तो स्वस्थ व्यक्ति के संक्रमित होने की संभावना रहती है।
असुरक्षित रक्त या रक्त उत्पाद
यदि किसी संक्रमित व्यक्ति का रक्त किसी अन्य व्यक्ति को चढ़ा दिया जाये तो संक्रमण की सम्भावना शत-प्रतिशत रहती है। इसी प्रकार बिना HIV की जाँच किये अंग प्रत्यारोपण, डायलिसिस आदि से संक्रमण की सम्भावना भी रहती है।
HIV संक्रमित माँ से शिशु में
HIV संक्रमित महिला द्वारा गर्भधारण गर्भस्थ शिशु को गर्भावस्था के समय अथवा प्रसव के समय नवजात शिशु को भी HIV संक्रमण हो सकता है।
संक्रमित सुई अथवा सिंरिन्ज से
यदि चिकित्सकीय उपकरणों को उचित ढंग से जीवाणु रहित नहीं किया जाये , तो HIV इनके द्वारा भी फैल सकता है। इस प्रकार जो लोग सुई द्वारा नशीली दवाइयाँ लेने के अभ्यस्त है, उनमें सुई के माध्यम से व्यक्ति का रक्त दूसरे व्यक्ति में जाने की सम्भावना बहुत अधिक रहती है ।
AIDS के लक्षण
HIV संक्रमण के पश्चात लम्बे समय तक (7 से 10 बर्ष) बाह्य रूप से इसका कोई प्रभाव दिखायी नहीं देता है। परन्तु धीरे-धीरे शरीर की समस्त रोग क्षमता समाप्त हो जाती है तो एक अथवा अनेक बीमारियाँ प्रकट होने लगती हैं। इसे तब AIDS का रोगी कहा जाता है।
AIDS के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित है
- गले अथवा बगल में सूजन एवं गिल्टियाँ होना।
- लगातार अनेक हफ्तों तक अतिसार अथवा दस्त रहना।
- अकारण वज़न कम होना।
- बुखार रहना।
- त्वचा पर दर्द भरे और खुजली वाले चकत्ते हो जाना।
- मुँह में फंगस संक्रमण ( कैन्डीडा ) होना।
ये सभी सामान्य रोगों के कारण भी हो सकते है जिसका उपचार सम्भव है।
AIDS से बचाव के उपाय क्या हैं?
AIDS से बचाव के निम्नलिखित उपाय हैं।
- एक ही जीबन साथी के प्रति विश्वसनीयता हो।
- रक्त देने अथवा ग्रहण करने से पूर्व जाँच अवश्य करना चाहिये।
- दूषित सिरिन्ज अथवा सुई का उपयोग नहीं करना चाहिये।
- डिस्पोजिवल सिरिन्ज ‘अथवा 20’ मिनट तक उबली सुई का ही प्रयोग करना चाहिये ‘
- उपयोग के पश्चात डिस्पोजिवल सिंरिन्ज को नष्ट कर देना चाहिये।
- अपने परिवार के सभी छोटे-बड़े सदस्यों , मित्रों तथा सहकर्मियों के साथ AIDS के बारे में चर्चा करें तथा इन्हें जागरूक बनायें।
कौन-कौन से कारणों से AIDS नहीं फैलता?
निम्नलिखित स्रोतों से AIDS नहीं फैलता –
- हाथ मिलाने, छूने, साथ उठने-बैठने, पास खड़े रहने एवं आलिंगन आदि से।
- संक्रमित व्यक्ति के साथ दैनिक उपयोग की वस्तुओं का सहभागी उपयोग ; जैसे-टेलीफोन, टाइपराइटर , पुस्तकें, मशीनें , पेन एवं यन्त्र आदि से।
- प्लेट, प्याला अन्य खाने के बर्तनों के साझा उपयोग से।
- एक ही कक्षा में साथ बैठने तथा एक ही कार्यालय में काम करने से।
- प्रसाधन तथा स्नानघर के साझा उपयोग से।
- मच्छर, खटमल अथवा कीटों के काटने से।
- खाँसी अथवा छींक द्वारा सांस से । इस प्रकार
HIV संक्रमित व्यक्ति के साथ दैनिक एवं स्वस्थ सामाजिक सम्बन्धों का निर्वाह करने से AIDS नहीं होता।
AIDS के परीक्षण
AIDS के अनेक परीक्षण चिकित्सालयों में उपलब्ध हैँ, उनमे प्रमुख परीक्षण अग्रलिखित हैं
1)एलिसा जाँच
2)वेस्टर्न जाँच
3)रेपीड परीक्षण(स्पाटटेस्ट)।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1)AIDS फैलने का कारण है
a) असुरक्षित यौन सम्पर्क
b) असुरक्षित रक्त या रक्त उत्पाद
c) संक्रमित सुई अथवा सिरिन्ज
d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-(d)
2) AIDS की जाँच के लिये प्रयुक्त परीक्षण है
a) एलिसा परीक्षण
b) रेपीड परीक्षण
c) a एवं b दोनों
d) दोनों में से कोई नहीं।
उत्तर-(c)
3) AIDS से बचाव का उपाय है
a) जीवनसाथी के प्रति विश्वसनीयता
b) जनन अंगों की स्वच्छता
c) संयमित जीवन
d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-(d)
4) AIDS रोग किस वाइरस से होता है
a)HIV वाइरस
b)वेरिसेला वाइरस
c)रोटावाइरस
d)रूबेला वाइरस
उत्तर-(a)